Land Registry: छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीन से जुड़े कामों को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब जमीन की रजिस्ट्री और नामांतरण की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल कर दिया गया है। पहले जहां तहसील और पटवारी की भूमिका अहम थी, अब यह जिम्मेदारी सीधे जिला पंजीयक के पास होगी। इससे आम लोगों को न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि भ्रष्टाचार और बार-बार चक्कर लगाने की समस्या से भी राहत मिलेगी।
ऑनलाइन होगी रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया
अब रजिस्ट्री के लिए सरकारी पोर्टल पर आवेदन करना होगा। जरूरी दस्तावेज स्कैन करके अपलोड किए जाएंगे और फीस ऑनलाइन जमा की जाएगी। इसके बाद आधार कार्ड के माध्यम से बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन किया जाएगा। रजिस्ट्री पूरी होते ही डिजिटल हस्ताक्षर के साथ प्रमाण पत्र मिलेगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी जिससे लोगों को कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
नामांतरण अब ऑटोमैटिक तरीके से
पहले नामांतरण के लिए पटवारी की रिपोर्ट और तहसीलदार की मंजूरी जरूरी होती थी। अब रजिस्ट्री के साथ ही नाम अपने आप रिकॉर्ड में अपडेट हो जाएगा जिसे ऑटो म्यूटेशन कहा जा रहा है। इससे प्रक्रिया तेज होगी और फाइलें आगे बढ़ाने के नाम पर देरी या घूस जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। साथ ही राजस्व रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण भी पूरा किया जाएगा जिससे डेटा में पारदर्शिता आएगी।
आधार आधारित वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा
रजिस्ट्री और नामांतरण में अब गवाहों की जरूरत नहीं रहेगी। सिर्फ आधार कार्ड आधारित बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से ही पूरी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इससे पहचान की पुष्टि पहले से अधिक सटीक होगी और फर्जीवाड़े की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी। इसके अलावा खरीदार और विक्रेता दोनों का आधार कार्ड लिंक करना अनिवार्य कर दिया गया है जिससे रियल एस्टेट लेन-देन में जवाबदेही बढ़ेगी।
ऑनलाइन पेमेंट और डिजिटल दस्तावेज की सुविधा
अब रजिस्ट्री और नामांतरण की फीस डिजिटल माध्यम से ही ली जाएगी। UPI, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग जैसी सुविधाओं से भुगतान किया जा सकेगा। इस प्रक्रिया में अब नकद लेन-देन की जरूरत नहीं रहेगी जिससे वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी। पूरी प्रक्रिया के बाद रजिस्ट्री और नामांतरण के डिजिटल प्रमाण पत्र जारी होंगे जिन्हें कभी भी पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है।
बुजुर्गों और दिव्यांगों को मिलेगी घर बैठे सुविधा
नई व्यवस्था में खास तौर पर बुजुर्गों और दिव्यांग नागरिकों के लिए घर बैठे रजिस्ट्री की सुविधा दी गई है। इसके तहत वे वीडियो कॉल और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के जरिए घर से ही अपनी रजिस्ट्री पूरी कर सकते हैं। यह सुविधा न सिर्फ उन्हें सुविधा देगी बल्कि उनकी सुरक्षा और गरिमा को भी बनाए रखेगी। यह कदम सरकार की नागरिक केंद्रित सोच को दर्शाता है।
डिजिटल एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट एक क्लिक में
अब आप अपनी जमीन या प्रॉपर्टी पर कोई लोन या कानूनी विवाद है या नहीं, इसकी जानकारी सिर्फ एक क्लिक में ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए एक डिजिटल एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा जो प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन को सुरक्षित बनाएगा। इससे खरीदार और विक्रेता दोनों को निर्णय लेने में आसानी होगी और पारदर्शिता बनी रहेगी।
पटवारी और तहसीलदार की भूमिका में बड़ा बदलाव
अब पटवारी सिर्फ रिकॉर्ड मेंटेन करेंगे जबकि तहसीलदार की मंजूरी की जरूरत नहीं रह गई है। पहले एक ही प्रक्रिया दो स्तर पर होती थी, जिससे दोहराव और देरी होती थी। अब एक ही स्थान पर रजिस्ट्री और नामांतरण की प्रक्रिया पूरी होगी। इससे सरकार का सिस्टम अधिक कुशल होगा और लोगों का भरोसा बढ़ेगा। इससे विभागीय बोझ भी कम होगा और नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। रजिस्ट्री या नामांतरण से पहले संबंधित सरकारी पोर्टल या अधिकृत अधिकारियों से जानकारी जरूर प्राप्त करें। नियमों में समय के साथ बदलाव संभव है, इसलिए अंतिम निर्णय से पहले पूरी जानकारी की पुष्टि करें।