Home Loan: आज के दौर में घर खरीदना आम आदमी की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में शामिल हो चुका है। महंगाई के चलते अपनी आय से सीधा घर खरीद पाना आसान नहीं रह गया है। ऐसे में अधिकतर लोग होम लोन का विकल्प चुनते हैं ताकि वह अपने सपनों का घर समय पर खरीद सकें। खासकर जब बात 50 लाख रुपये जैसे बड़े अमाउंट की हो, तो इस लोन की मासिक किस्त यानी ईएमआई का प्रभाव आपके पूरे बजट पर पड़ता है। ऐसे में सही ब्याज दर और समय पर लिया गया निर्णय बहुत मायने रखता है।
रेपो रेट और इसका असर
रेपो रेट उस ब्याज दर को कहा जाता है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। यह दर जितनी कम होगी, बैंक उतने सस्ते में लोन दे पाएंगे। फरवरी 2025 में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने 0.25% की कटौती की, जिससे रेपो रेट 6.50% से घटकर 6.25% हो गई। पिछले दो साल से रेपो रेट स्थिर थी, इसलिए यह बदलाव लोन लेने वालों के लिए राहत का संकेत है। इसकी मदद से ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन मिलने की उम्मीद बनती है।
ब्याज दरों में कटौती का लाभ
रेपो रेट में कटौती के बाद बैंकों पर भी दबाव बनता है कि वे अपनी ब्याज दरें घटाएं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बड़े बैंक पहले 9.65% की दर से होम लोन दे रहे थे। अब यह दर घटकर 9.40% होने की संभावना है। इस मामूली से अंतर का असर लंबी अवधि वाले लोन पर बड़ा होता है। ब्याज दर कम होने का सबसे सीधा फायदा मासिक ईएमआई में मिलता है जिससे ग्राहक को हर महीने कुछ राहत महसूस होती है।
50 लाख रुपये के लोन पर ईएमआई कैलकुलेशन
यदि कोई ग्राहक 50 लाख रुपये का होम लोन 20 वर्षों के लिए लेता है और ब्याज दर 9.65% है, तो उसे लगभग 47,097 रुपये की मासिक ईएमआई देनी होगी। लेकिन अगर ब्याज दर घटकर 9.40% हो जाए, तो यही ईएमआई घटकर करीब 46,281 रुपये हो जाती है। इसका मतलब है कि ग्राहक को हर महीने 816 रुपये की राहत मिल सकती है। यह रकम साल भर में लगभग 9,792 रुपये और पूरे लोन टेन्योर में लगभग दो लाख रुपये तक पहुंच सकती है।
लंबी अवधि में होने वाला फायदा
छोटे अंतर वाली यह मासिक राहत लंबी अवधि में बहुत बड़ी रकम बन जाती है। इससे ग्राहक की वित्तीय स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अतिरिक्त बचत को दूसरी जगह निवेश किया जा सकता है या आपातकालीन फंड में जोड़ा जा सकता है। इससे आर्थिक संतुलन बेहतर बनता है और किसी भी अनपेक्षित खर्च को मैनेज करना आसान हो जाता है। होम लोन का सही प्लान बनाना भविष्य की वित्तीय स्थिरता की दिशा में एक मजबूत कदम है।
फ्लोटिंग रेट ग्राहकों के लिए राहत
यदि आपने पहले से फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है तो यह बदलाव स्वतः आपकी ईएमआई में परिलक्षित होगा। क्योंकि फ्लोटिंग रेट रेपो रेट से जुड़ा होता है, इसलिए जैसे ही केंद्रीय बैंक दर में बदलाव करता है, बैंक भी धीरे-धीरे ग्राहकों की दरें संशोधित करते हैं। हालांकि कई बार यह लाभ लेने के लिए ग्राहक को बैंक से संपर्क कर दर में संशोधन की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। यह प्रक्रिया आसान होती है लेकिन समय पर की जानी चाहिए।
नया लोन लेने वालों के लिए उपयुक्त समय
अगर आप नया होम लोन लेने की सोच रहे हैं तो यह समय आपके लिए अनुकूल हो सकता है। कम ब्याज दरों की वजह से ईएमआई भी कम होगी जिससे आपका मासिक बजट प्रभावित नहीं होगा। साथ ही, होम लोन को लेकर बैंक इन दिनों अधिक प्रतिस्पर्धी हो गए हैं और बेहतर ऑफर देने लगे हैं। इसलिए समय रहते सही बैंक और स्कीम का चुनाव आपको वित्तीय रूप से अधिक लाभ दिला सकता है। यह निर्णय काफी हद तक आपकी भविष्य की आय पर भी असर डाल सकता है।
EMI घटने से मानसिक और वित्तीय राहत
कम ईएमआई का असर केवल बजट पर नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी होता है। कम मासिक बोझ होने से ग्राहक समय पर भुगतान कर पाते हैं और डिफॉल्ट की संभावना कम हो जाती है। इसके साथ ही वे दूसरी जरूरी चीजों में भी निवेश करने का आत्मविश्वास पाते हैं। यह एक तरह से आर्थिक आत्मनिर्भरता की शुरुआत मानी जा सकती है, जिसमें ग्राहक अपने भविष्य की योजना स्थिर रूप से बना सकता है।
रियल एस्टेट सेक्टर में हलचल
रेपो रेट में कटौती का असर केवल ग्राहकों और बैंकों तक सीमित नहीं रहता। इससे रियल एस्टेट मार्केट में भी तेजी देखी जाती है। डेवलपर्स नए ऑफर्स लाते हैं जिससे खरीदारों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। इससे अर्थव्यवस्था में भी धन का प्रवाह बढ़ता है और रोजगार के अवसर भी बनते हैं। इस प्रकार एक छोटा सा नीति बदलाव बड़े स्तर पर सकारात्मक असर पैदा कर सकता है, जो समग्र विकास को बढ़ावा देता है।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से है। होम लोन के लिए आवेदन करने से पहले कृपया संबंधित बैंक या वित्तीय संस्थान से पूरी जानकारी प्राप्त करें और अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।