Electricity Rate Hike: मई की शुरुआत के साथ ही आम उपभोक्ताओं को बिजली बिल में जोर का झटका लगने वाला है। यदि आपकी मासिक खपत 300 यूनिट के आसपास है तो इस महीने आपको लगभग ₹201 ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं। यह बढ़ोतरी दो हिस्सों में लागू हुई है—एक फ्यूल और पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज और दूसरी टैरिफ वृद्धि। दोनों मिलाकर यह 8.13% अतिरिक्त भार बनाता है जो सीधे आपके बिल को प्रभावित करेगा।
नया टाइम ऑफ द डे टैरिफ
अब बिजली की दरें दिन के समय के अनुसार तय होंगी। सुबह 6 से 10 और शाम 6 से रात 9 बजे तक उपयोग की जाने वाली बिजली पर 20% अधिक शुल्क लिया जाएगा। इस ‘पीक टाइम’ खपत का औसत प्रभाव ₹0.67 प्रति यूनिट अतिरिक्त दर के रूप में सामने आएगा। इससे अब केवल बिजली कितनी खपत हो रही है यह नहीं, बल्कि कब हो रही है, यह भी बिल का आकार तय करेगा।
अस्थायी लेकिन असरदार सरचार्ज
फ्यूल एडजस्टमेंट सरचार्ज 24 अप्रैल से 23 मई तक के लिए लागू किया गया है। वर्तमान दर 3.92% तय की गई है, लेकिन इसमें मार्च महीने का 0.75% घटाया हुआ सरचार्ज जोड़ने पर कुल 4.67% की दर बनती है। यह अनुपात सीधे बिल के अंतिम आंकड़े पर असर डालता है, जिससे मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
सरचार्ज क्यों जरूरी है
यह अतिरिक्त शुल्क बिजली उत्पादन और खरीद में हर महीने आने वाले बदलावों की भरपाई करने के लिए जोड़ा जाता है। 2021 में नियामक आयोग ने डिस्कॉम्स को यह अधिकार दे दिया कि वे पूर्व अनुमति के बिना इसे लागू कर सकते हैं। इस स्वायत्तता के बाद अब कंपनियां हर महीने अपने खर्च के अनुसार यह सरचार्ज तय कर सकती हैं।
समाधान क्या हो सकता है
बिजली के बढ़ते खर्च से बचने के लिए उपभोक्ताओं को ऊर्जा दक्षता और समय प्रबंधन अपनाना होगा। भारी उपकरण जैसे वॉशिंग मशीन और मोटर ऑफ-पीक घंटों में चलाएं। एलईडी बल्ब और इन्वर्टर एसी जैसे ऊर्जा कुशल उपकरणों का इस्तेमाल करें। इससे टैरिफ के प्रभाव को कुछ हद तक संतुलित किया जा सकता है और कुल बिल पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
स्मार्ट विकल्पों की ओर रुख करें
टाइम ऑफ द डे टैरिफ को समझने और उस पर नियंत्रण पाने का एक तरीका स्मार्ट मीटर है। इससे उपभोग का वास्तविक समय डाटा मिल सकता है और पीक आवर्स से बचा जा सकता है। भोपाल में स्मार्ट मीटर इंस्टॉलेशन का लक्ष्य 2.86 लाख रखा गया है, हालांकि अभी तक सिर्फ 50 हजार ही लगाए जा सके हैं। लेकिन जिन घरों में ये लगे हैं, वहां उपभोग का आंकलन आसान हो गया है।
अब और उपभोक्ता भी दायरे में
अब तक यह टैरिफ व्यवस्था केवल उद्योगों तक सीमित थी, लेकिन अब एक लाख घरेलू उपभोक्ताओं को भी इसके तहत लाया गया है। इससे मध्यवर्गीय परिवार भी प्रभावित होंगे क्योंकि अब उन्हें भी बिजली के उपयोग का समय देखना होगा। पीक टाइम में इस्तेमाल की गई बिजली अब पहले से 20% अधिक खर्चीली हो चुकी है, इसलिए दिनचर्या बदलना अब जरूरी हो गया है।
बिल की प्रक्रिया कैसे तय होती है
पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के अनुसार हर महीने फ्यूल सरचार्ज की दरें तय की जाती हैं। यह एक तय प्रक्रिया है जिसमें पिछले खर्च, फ्यूल की कीमतें और वितरण लागत को ध्यान में रखा जाता है। समय-समय पर इसमें कमी या बढ़ोतरी हो सकती है। उदाहरण के लिए, पिछले महीने इसमें 0.75% की कटौती भी की गई थी, लेकिन इस बार बढ़ोतरी का प्रभाव ज्यादा नजर आ रहा है।
ऊर्जा बचत से राहत संभव
छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं। सोलर पैनल लगाना, टाइमर के इस्तेमाल से उपकरणों का संचालन करना और ग्रिड पर निर्भरता घटाना ऐसे विकल्प हैं जिनसे दीर्घकालिक राहत मिल सकती है। यदि उपभोक्ता खुद को जागरूक करें और ऊर्जा कुशल जीवनशैली अपनाएं तो बढ़ती दरों के बीच भी संतुलन बना सकते हैं।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचना और जागरूकता के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारियां समाचार स्रोतों और विद्युत नियामक एजेंसियों पर आधारित हैं। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले कृपया अपनी बिजली वितरण कंपनी या अधिकृत विशेषज्ञ से संपर्क करें।