Loan EMI: आज के दौर में लगभग हर व्यक्ति बैंकिंग सिस्टम से जुड़ा हुआ है खासकर नौकरीपेशा वर्ग जिनकी तनख्वाह सीधे बैंक अकाउंट में आती है। ऐसे लोगों के लिए बैंकों ने एक ऐसी सुविधा शुरू की है जिसमें लोन लेने के बाद हर महीने ईएमआई भरने की कोई जरूरत नहीं होती। जिन्हें अचानक पैसों की जरूरत पड़ जाती है और वे बिना किसी तनाव के लोन लेना चाहते हैं। इस सुविधा को सैलरी ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी कहा जाता है और यह अब भारत के कई प्रमुख बैंकों द्वारा दी जा रही है।
तुरंत पैसे, तब मददगार है ये सुविधा
अक्सर ऐसी स्थिति आ जाती है जब अचानक पैसे की तगड़ी जरूरत पड़ती है लेकिन न तो सेविंग्स में पर्याप्त राशि होती है और न ही आसपास से मदद मिलती है। ऐसी स्थिति में बैंक की ओर से दी जाने वाली यह सैलरी ओवरड्राफ्ट सुविधा बहुत कारगर होती है। इसमें आपको अपने खाते में बैलेंस न होने के बावजूद भी बैंक से एक निश्चित राशि तक निकासी की अनुमति मिल जाती है जो आपकी सैलरी पर आधारित होती है।
क्या है सैलरी ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी?
लोग आम तौर पर होम लोन, पर्सनल लोन, या व्हीकल लोन जैसे विकल्पों से परिचित हैं लेकिन सैलरी ओवरड्राफ्ट एक अलग ही कांसेप्ट है। इसमें बैंक आपके सैलरी अकाउंट को देखकर तय करता है कि आपको कितनी राशि की जरूरत पड़ सकती है। इस सुविधा के तहत आप अपने खाते से निर्धारित सीमा तक पैसे निकाल सकते हैं भले ही आपके खाते में बैलेंस न हो। यह एक तरह से लोन ही है लेकिन इसे चुकाने की प्रक्रिया अन्य लोन से भिन्न है।
कितनी राशि मिल सकती है इस लोन में?
इस योजना के तहत मिलने वाली राशि बैंक और व्यक्ति की सैलरी के आधार पर तय होती है। उदाहरण के लिए, HDFC बैंक नौकरीपेशा ग्राहकों को उनकी सैलरी के तीन गुना तक की ओवरड्राफ्ट लिमिट देता है। यह राशि आमतौर पर ₹25,000 से ₹1,25,000 तक हो सकती है। ग्राहक को यह तय सीमा दी जाती है लेकिन ब्याज केवल उसी राशि पर देना होता है जितनी वह उपयोग करता है।
EMI का नहीं है झंझट
पारंपरिक लोन में हर महीने EMI भरनी पड़ती है जो कई लोगों के लिए अतिरिक्त बोझ बन जाती है। लेकिन सैलरी ओवरड्राफ्ट में ऐसा नहीं होता। HDFC बैंक की वेबसाइट के अनुसार, इस सुविधा में ग्राहक को हर महीने ईएमआई भरने की आवश्यकता नहीं होती। ग्राहक को सिर्फ उस महीने जितना अमाउंट उसने उपयोग किया है, उसी पर ब्याज देना होता है। इसकी रीपेमेंट अवधि भी लचीली होती है।
सिर्फ खर्च की गई राशि पर ब्याज
पर्सनल लोन में पूरी लोन राशि पर ब्याज लगता है भले ही आपने उसका उपयोग किया हो या नहीं। लेकिन सैलरी ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में ऐसा नहीं है। यदि बैंक ने आपको ₹1 लाख तक की लिमिट दी है और आपने सिर्फ ₹50,000 खर्च किए हैं, तो ब्याज सिर्फ ₹50,000 पर ही लगेगा। यह इस सुविधा की सबसे बड़ी खासियत है, जो इसे अन्य लोन से ज्यादा किफायती बनाती है।
प्रोसेसिंग फीस और चार्जेस
सभी बैंकों के नियम इस सुविधा के लिए अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, SBI (भारतीय स्टेट बैंक) इस सुविधा के लिए कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं लेता, जबकि HDFC बैंक में ₹1,999 तक की प्रोसेसिंग फीस लगती है। इसके अलावा कुछ बैंकों में रिन्यूअल चार्ज भी होता है, जैसे HDFC बैंक में एक साल के बाद रिन्यू कराने पर ₹250 रिन्यूअल शुल्क लिया जाता है।
लोन की अवधि और रिन्यूअल सुविधा
इस सुविधा की अवधि भी बैंक के अनुसार तय होती है। HDFC बैंक एक साल की अवधि देता है, जिसे 12 महीने बाद फिर से एक साल के लिए रिन्यू किया जा सकता है। रिन्यूअल के समय बैंक ग्राहक की क्रेडिट हिस्ट्री, अकाउंट एक्टिविटी और सैलरी को ध्यान में रखता है। साथ ही, इस पर कुछ सरकारी टैक्स और शुल्क भी लागू होते हैं।
क्रेडिट स्कोर का असर
इस तरह के लोन में क्रेडिट स्कोर भी मायने रखता है। यदि आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है और आपने समय पर अपने पुराने लोन चुकाए हैं, तो बैंक आपको आसानी से ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान कर सकता है। वहीं, कमजोर क्रेडिट स्कोर की स्थिति में या डिफॉल्ट हिस्ट्री होने पर बैंक इस सुविधा को देने से मना भी कर सकता है।
किन्हें मिलेगा यह लाभ?
यह सुविधा उन लोगों को दी जाती है जिनकी सैलरी नियमित रूप से किसी बैंक अकाउंट में आती है और जो पिछले कुछ महीनों से उसी बैंक के ग्राहक हैं। इसके अलावा कुछ बैंकों की यह भी शर्त होती है कि ग्राहक के खाते में एक निश्चित न्यूनतम बैलेंस बना रहना चाहिए या वे किसी प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत हों।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारियां विभिन्न बैंक वेबसाइटों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं। बैंक की नीतियों और ब्याज दरों में समय-समय पर बदलाव हो सकता है। किसी भी प्रकार की फाइनेंशियल योजना या लोन लेने से पहले अपने बैंक से संपर्क करें और किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें।