Savings Account: बैंक में सेविंग अकाउंट रखना आज हर व्यक्ति की जरूरत बन गया है। नौकरीपेशा से लेकर छात्रों तक, सभी इसका इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इसमें पैसे रखना सुरक्षित होता है और डिजिटल लेनदेन में आसानी होती है। लेकिन बहुत से लोग इस बात से अनजान रहते हैं कि इसमें नकद जमा करने की एक तय सीमा होती है।
10 लाख से ऊपर बैंक देता है जानकारी
अगर आप साल भर में सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये से ज्यादा नकद जमा करते हैं तो बैंक इस जानकारी को इनकम टैक्स विभाग तक पहुंचाता है। यह नियम एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न के तहत आता है। यदि आपकी जमा राशि आय से मेल नहीं खाती, तो विभाग जांच कर सकता है।
करंट अकाउंट में अलग सीमा होती है
सेविंग अकाउंट के मुकाबले करंट अकाउंट में 50 लाख रुपये तक नकद जमा की अनुमति है। हालांकि यहां भी ट्रांजैक्शन का स्रोत साफ़ होना जरूरी है। यदि जमा की गई राशि संदेहास्पद हो तो टैक्स विभाग कार्रवाई कर सकता है।
पचास हजार पर पैन जरूरी है
अगर आप एक बार में 50,000 रुपये या उससे अधिक जमा करते हैं तो पैन नंबर देना अनिवार्य है। अगर आप कई बार छोटी रकम जमा करके साल के अंत तक सीमा पार कर देते हैं, तब भी जांच हो सकती है।
जवाब नहीं दिया तो टैक्स लगेगा भारी
यदि जमा की गई नकदी का स्रोत आप साबित नहीं कर पाए तो विभाग धारा 131, 142(1) या 148 के तहत नोटिस भेज सकता है। संतोषजनक उत्तर न देने पर उस राशि को अघोषित आय मानकर 60% टैक्स के साथ सरचार्ज और सेस लगाया जा सकता है।
हर लेनदेन का रिकॉर्ड टैक्स विभाग देखता है
आपके सभी हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन बैंक से 26AS और AIS फॉर्म में दिखते हैं। टैक्स अधिकारी इनका मिलान आपके ITR से करते हैं। कोई गड़बड़ी मिलने पर आपको नोटिस भेजा जा सकता है। इसलिए सभी जानकारी सही-सही दर्ज करना बेहद जरूरी है।
सही जानकारी से मिल सकती है राहत
बैंक में कैश जमा करना गलत नहीं है लेकिन नियमों की जानकारी जरूरी है। हर लेनदेन का स्रोत साफ रखें और टैक्स रिटर्न समय पर भरें। सही जानकारी देने से नोटिस और टैक्स पेनल्टी से आसानी से बचा जा सकता है।
Disclaimer
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले अपने टैक्स सलाहकार या विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।