MFME Scheme: भारत में फूड प्रोसेसिंग उद्योग तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है जो लाखों लोगों को रोजगार देता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। सरकार की PMFME योजना ऐसे ही छोटे और सूक्ष्म फूड प्रोसेसिंग उद्यमों को सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई है। इस योजना के तहत व्यवसायी 10 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं जिस पर 35% तक की सब्सिडी मिलती है। यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लागू की गई है ताकि छोटे उद्यमी भी बड़े बाजार का हिस्सा बन सकें।
योजना का उद्देश्य और लाभ
PMFME योजना का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक खाद्य प्रसंस्करण व्यवसायों को आधुनिकीकरण के माध्यम से मजबूत बनाना है। इसके तहत न केवल वित्तीय सहायता मिलती है बल्कि व्यवसाय के लिए जरूरी प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और मार्केटिंग सपोर्ट भी दिया जाता है। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों के उत्पादों को नई पहचान मिलती है बल्कि उद्यमियों को स्थानीय उत्पादों के जरिए ब्रांडिंग का भी मौका मिलता है। यह योजना ‘एक जिला एक उत्पाद’ नीति पर आधारित है जिससे हर जिले को उसकी विशिष्टता के आधार पर अलग पहचान दी जा सके।
पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
PMFME योजना में आवेदन करने के लिए कुछ बुनियादी शर्तें हैं। आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए, उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और उसने कम से कम 8वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की होनी चाहिए। साथ ही व्यवसाय का पंजीकरण होना आवश्यक है। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है जिसे PMFME पोर्टल पर जाकर पूरा किया जा सकता है। यदि किसी को तकनीकी कठिनाई आती है तो वह स्थानीय नोडल एजेंसी की मदद से आवेदन कर सकता है। आवेदन के साथ व्यवसाय से संबंधित दस्तावेज़ और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट देना जरूरी होता है।
एक जिला एक उत्पाद की रणनीति
इस योजना की सबसे खास बात है ODOP यानी One District One Product की नीति। इसके तहत हर जिले के प्रमुख खाद्य उत्पाद को बढ़ावा दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर किसी जिले में आम की पैदावार अधिक है तो वहां आम से जुड़ी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे न केवल स्थानीय उत्पादों को ब्रांडिंग का मौका मिलेगा बल्कि उस क्षेत्र के किसानों और कारीगरों को भी स्थायी लाभ मिलेगा। इस नीति से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन में भी मदद मिल रही है और देशभर में पारंपरिक उत्पादों की मांग भी बढ़ रही है।
वित्तीय सहायता की विशेषताएं
PMFME योजना के तहत मिलने वाले लोन की अधिकतम सीमा ₹10 लाख है जिसमें 35% तक सब्सिडी सरकार देती है। यह सब्सिडी अधिकतम ₹3.5 लाख तक हो सकती है जिसे सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा किया जाता है। इस योजना में बैंक लोन प्राप्त करने के लिए गारंटी देने की बाध्यता नहीं है अगर योजना के तहत मान्यता प्राप्त संस्था के माध्यम से आवेदन किया गया हो। इसके अलावा सरकार की ओर से सीड कैपिटल के रूप में ₹40,000 तक की सहायता भी दी जाती है जिसका उपयोग कच्चे माल की खरीद, पैकेजिंग और लेबलिंग में किया जा सकता है।
प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग
इस योजना के अंतर्गत फूड प्रोसेसिंग से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी की गई है। प्रशिक्षण में उन्हें खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण, आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों और ब्रांडिंग के बारे में जानकारी दी जाती है। इससे लाभार्थियों को न केवल उत्पादन की प्रक्रिया में मदद मिलती है बल्कि उन्हें अपने उत्पादों को बाजार में बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने की भी कला सिखाई जाती है। यह प्रशिक्षण उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है और यह पूरी तरह निशुल्क होता है ताकि अधिक से अधिक लोग योजना से लाभान्वित हो सकें।
बाजार पहुंच और ब्रांडिंग सहायता
PMFME योजना में शामिल उद्यमियों को उनके उत्पादों के लिए बाजार तक पहुंच भी दिलाई जाती है। सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, रिटेल चैनल और निर्यात के अवसरों तक इन उद्यमों की पहुंच बनाती है। इसके अलावा उत्पादों की ब्रांडिंग, डिजाइनिंग और मार्केटिंग में भी तकनीकी सहायता दी जाती है जिससे स्थानीय स्तर पर बनाए गए उत्पाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकें। इस पूरी प्रक्रिया से उत्पाद की वैल्यू भी बढ़ती है और उद्यमी को बेहतर लाभ मिल पाता है।
सफलता की मिसालें
इस योजना से अब तक कई उद्यमियों ने अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उदाहरण के लिए राजस्थान की कोमल देवी ने सीड कैपिटल के रूप में ₹40,000 की सहायता प्राप्त की और उससे अपने नमकीन और स्नैक्स बनाने के कारोबार को आगे बढ़ाया। आज उनका व्यवसाय न केवल स्थानीय बाजार में बल्कि राज्य के बाहर भी अपनी पहचान बना चुका है। इस तरह की कहानियां दिखाती हैं कि सरकारी योजनाओं का सही उपयोग कैसे छोटे स्तर पर बड़े बदलाव ला सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
PMFME योजना में सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया है जिससे देशभर में 2 लाख से अधिक माइक्रो फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स को सहायता दी जानी है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और भारत में फूड प्रोसेसिंग उद्योग को एक नई गति मिलेगी। अगर आप भी खाद्य प्रसंस्करण में रुचि रखते हैं और अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो यह योजना आपके लिए एक मजबूत आधार बन सकती है।